कश्मीर में जवानों को ड्रोन को ध्वस्त करने की दी जा रही ट्रेनिंग
पुलवामा, 14 अक्टूबर (आईएएनएस)। कश्मीर में नियंत्रण रेखा और अंदुरुनी इलाकों के पास हेक्साकॉप्टर का प्रयोग कर भारतीय सुरक्षाबलों पर ग्रेनेड हमले का खतरा बना हुआ है। इसे देखते हुए जवानों को इन हमलों को नाकाम करने के लिए प्रशिक्षण दिया जा रहा है। जवान अब ड्रोन हमले को नाकाम करने के तरीके सीख रहे हैं।
भारतीय सेना ने आतंकवाद को नाकाम करने के लिए जम्मू एवं कश्मीर में तैनात अपने जवानों के लिए नए प्रशिक्षण मोड्यूल को अपनाया है।
15 कोर्प्स बैटल स्कूल में मौजूद प्रशिक्षु जवानों को यह सिखाया जा रहा है कि ड्रोन की वजह से उत्पन्न हो रहे खतरे से कैसे निपटें।
एक ट्रैनर ने कहा, हम यहां प्रशिक्षण के लिए आने वाले सभी जवानों को ड्रोन के खतरे के प्रति आगाह करते हैं। कुछ खुफिया रिपोर्ट है कि ड्रोन का प्रयोग सुरक्षा प्रतिष्ठानों और जवानों पर ग्रेनेड गिराने के लिए किया जा सकता है।
घाटी में तैनात होने वाले भारतीय सेना के अधिकारियों या जवानों को बैटल स्कूल में एक प्रशिक्षण से गुजरना होता है।
बैटल स्कूल में दो तरह के प्रशिक्षण कोर्स चलते हैं। एक प्रशिक्षण उनके लिए होता है जो पाकिस्तान से सटे एलओसी के पास तैनात होते हैं। इन जवानों को 14 दिनों के लिए प्रशिक्षण लेना होता है। दूसरा घाटी में विभिन्न जगहों पर आतंकवाद का सामना करने के लिए तैनात जवानों के लिए होता है। यह प्रशिक्षण 28 दिनों का होता है।
एक अन्य ट्रेनर ने कहा, दोनों कोर्सो का ड्रोन समेत सामान्य प्रशिक्षण मोड्यूल होता है। इस तरह के प्रशिक्षण कार्यक्रम जवानों की जमीन पर मदद करते हैं।
बीते सप्ताह खुफिया एजेंसियों ने कहा था कि आईएसआई ने सीपीईसी से जुड़े चीनी कंपनी से बड़ी संख्या में हेक्साकॉप्टर खरीदा है, जिससे वह जम्मू व कश्मीर में अशांति पैदा करने के लिए हथियारों की आपूर्ति कर सके।
भारतीय खुफिया एजेंसियों का मानना है कि आईएसआई ने आतंकवादियों को हथियारों की आपूर्ति के लिए नया तरीका ढूंढा है। ऐसा इसलिए भी किया जा रहा है कि ड्रोन से हथियार भेजने में आतंकवादियों के मारे जाने का खतरा नहीं होता है।
सूत्रों ने कहा कि सीमा पर काफी सख्ती की वजह से आतंकवादियों को यह सिखाया जा रहा है कि कैसे ड्रोन का उपयोग करें और जब वे एक बार भारतीय सीमा में प्रवेश कर जाएं तो कैसे भारतीय प्रष्ठिानों पर हमला करें।
आरएचए/एसकेपी
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